Sunday, November 24, 2019

Wisdom

*Unexpected Wisdom from a Bird...* 

A man caught a bird. The bird said to him, “Release me, and I will give you three valuable pieces of advice. 
I will give you the first when you let me go, the second when I fly up to that branch, and the third when I fly up to the top of the tree.”

The man agreed, and let the bird go. 

Now free, the bird said, _“Do not torture, torment and burden yourself with excessive regret for past mistakes.”_ 

The bird then flew up to a branch and said, 
 _"Do not believe anything that goes against common sense, unless you have firsthand proof.”_

Then the bird flew up to the top of the big tree and said, “You fool. I have two huge jewels inside of me. If you had killed me instead of letting me go, you would have been rich.”

“Darn it!” the man exclaimed. “How could I have been so stupid? I am never going to get over this. Bird, can you at least give me the third piece of advice as consolation?”

The bird replied, “I was merely testing you. You are asking for further advice, yet you already disregarded the first two pieces of advice I gave you. First, I told you not to torment yourself with excessive regret for past mistakes, and second I told you not to believe things that go against common sense unless there is firsthand proof.

And yet, you just tormented yourself with regret for letting me go, and you also believed that somehow there are two huge jewels inside a tiny bird like me!!?

So here now is your third piece of advice: _*"If you are not applying what you already know, why are you so intent on gaining what you do not know?"*_ 

~ A Sufi Tale

Wednesday, November 20, 2019

Allah's decision

 *ईश्वर का गणित*

_एक बार दो आदमी एक मंदिर के पास बैठे गपशप कर रहे थे । वहां अंधेरा छा रहा था और बादल मंडरा रहे थे ।_
_थोड़ी देर में वहां एक आदमी आया और वो भी उन दोनों के साथ बैठकर गपशप करने लगा ।_

_कुछ देर बाद वो आदमी बोला उसे बहुत भूख लग रही है, उन दोनों को भी भूख लगने लगी थी ।
पहला आदमी बोला मेरे पास 3 रोटी हैं, दूसरा बोला मेरे पास 5 रोटी हैं, हम तीनों मिल बांट कर खा लेते हैं।_ 
_उसके बाद सवाल आया कि 8 (3+5) रोटी तीन आदमियों में कैसे बांट पाएंगे ??_
_पहले आदमी ने राय दी कि ऐसा करते हैं कि हर रोटी के 3 टुकडे करते हैं, अर्थात 8 रोटी के 24 टुकडे (8 X 3 = 24) हो जाएंगे और हम तीनों में 8 - 8 टुकड़े बराबर बराबर बंट जाएंगे।_
    _तीनों को उसकी राय अच्छी लगी और 8 रोटी के 24 टुकडे करके प्रत्येक ने 8 - 8 रोटी के टुकड़े खाकर भूख शांत की और फिर बारिश के कारण मंदिर के प्रांगण में ही सो गए ।_
_सुबह उठने पर तीसरे आदमी ने उनके उपकार के लिए दोनों को धन्यवाद दिया और प्रेम से 8 रोटी के टुकड़ों के बदले दोनों को उपहार स्वरूप 8 सोने की गिन्नी देकर अपने घर की ओर चला गया ।_
_उसके जाने के बाद दूसरे आदमी ने  पहले आदमी से कहा हम दोनों 4 - 4 गिन्नी बांट लेते हैं ।_ 
_पहला आदमी बोला नहीं मेरी 3 रोटी थी और तुम्हारी  5 रोटी थी, अतः मैं 3 गिन्नी लुंगा, तुम्हें 5 गिन्नी रखनी होगी ।_
_इस पर दोनों में बहस होने लगी ।_
_इसके बाद वे दोनों समाधान के लिये मंदिर के पुजारी के पास गए और उन्हें  समस्या बताई तथा  समाधान के लिए प्रार्थना की ।_
_पुजारी भी असमंजस में पड़ गया, दोनों  दूसरे को ज्यादा  देने के लिये लड़ रहे है ।  पुजारी ने कहा तुम लोग ये 8 गिन्नियाँ मेरे पास छोड़ जाओ और मुझे सोचने का समय दो, मैं कल सवेरे जवाब दे पाऊंगा ।_ 
_पुजारी को दिल में वैसे तो दूसरे आदमी की 3-5 की बात ठीक लग रही थी पर फिर भी वह गहराई से सोचते-सोचते गहरी नींद में सो गया।_
_कुछ देर बाद उसके सपने में भगवान प्रगट हुए तो पुजारी ने सब बातें बताई और न्यायिक मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना की और बताया कि मेरे ख्याल से 3 - 5 बंटवारा ही उचित लगता है ।_

_भगवान मुस्कुरा कर बोले- नहीं, 
पहले आदमी को 1 गिन्नी मिलनी चाहिए और दूसरे आदमी को 7 गिन्नी मिलनी चाहिए ।_
_भगवान की बात सुनकर पुजारी अचंभित हो गया और अचरज से पूछा-

प्रभु, ऐसा कैसे  ?

_भगवन फिर एक बार मुस्कुराए और बोले :_

_इसमें कोई शंका नहीं कि पहले आदमी ने अपनी 3 रोटी के 9 टुकड़े किये परंतु उन 9 में से उसने सिर्फ 1 बांटा और 8 टुकड़े स्वयं खाया अर्थात उसका त्याग सिर्फ 1 रोटी के टुकड़े का था इसलिए वो सिर्फ 1 गिन्नी का ही हकदार है ।_
    _दूसरे आदमी ने अपनी 5 रोटी के 15 टुकड़े किये जिसमें से 8 टुकड़े उसने स्वयं खाऐ और 7 टुकड़े उसने बांट दिए । इसलिए वो न्यायानुसार 7 गिन्नी का हकदार है .. ये ही मेरा गणित है और ये ही मेरा न्याय है  !_

_ईश्वर की न्याय का सटिक विश्लेषण सुनकर पुजारी  नतमस्तक हो गया।_

_इस कहानी का सार ये ही है कि हमारी वस्तुस्थिति को देखने की, समझने की दृष्टि और ईश्वर का दृष्टिकोण एकदम भिन्न है । हम ईश्वरीय न्यायलीला को जानने समझने में सर्वथा अज्ञानी हैं ।_ 
   _हम अपने त्याग का गुणगान करते है, परंतु ईश्वर हमारे त्याग की तुलना हमारे सामर्थ्य एवं भोग तौर कर यथोचित निर्णय करते हैं ।_ 

*_यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम कितने धन संपन्न है, महत्वपूर्ण यहीं है कि हमारे सेवाभाव कार्य में त्याग कितना है।_*

Sunday, November 17, 2019

Think big


Let's make happy,healthy and positive world.
"Dream the impossible. Know that you are born in this world to do something wonderful & unique. Give yourself the freedom to dream & think big."
Healthy Morning
Thank you Universe.

Monday, November 11, 2019

Always help to other

 *_एक नसीहत_*

एक बुज़ुर्ग से पूछा गया : ज़िन्दगी में कामयाबी कैसे हासिल होती है ?

  उन्होंने कहा : "इस के जवाब के लिए आपको आज रात का खाना मेरे पास खाना होगा...!
  सब दोस्त रात को खाने के लिए जमा हो गए, उन्होंने सू‌प का एक बड़ा बर्तन लाकर सबके सामने रख दिया, मगर सूप को पीने के लिए सबके सामने एक-एक मीटर लम्बा चम्मच दे दिया और सबको कहा कि "आप सबको अपने लम्बे चम्मच से सूप पीना है"।
  हर शख्स ने कोशिश की लेकिन ऐसे सूप पीना नामुमकिन था, कोई भी शख्स इस चम्मच से सूप ना पी सका ! सब नाकाम हो ग‌ए तो बुज़ुर्ग ने कहा : "मेरी तरफ़ देखो" ! उन्होंने एक चम्मच पकड़ा, सूप लिया और अपने सामने वाले शख्स के मुंह में लगा दिया। अब हर शख्स ने अपना-अपना चम्मच पकड़ा और दुसरे को सूप पिलाने लगे, सबके सब बहुत खुश हुए, सूप पीने के बाद बुजुर्ग ने कहा : *जो शख्स ज़िन्दगी के दस्तरख्वान पर अपना ही पेट भरने का फैसला करता है वह भूखा ही रहेगा और जो शख्स दुसरों को खिलाने की फ़िक्र करेगा वह खूद कभी भूखा नहीं रहेगा।*

_याद रखें..._
*_देने वाला हमेशा फायदा में रहता है ,लेने वाले से..._*

*_हम सबकी कामयाबी का रास्ता, दुसरों की कामयाबी से हो कर गुज़रता है।_*

Sunday, November 10, 2019

Control your Anger

🇲🇰प्रेरणादायी कहानियाँ🇲🇰

अंदर के गुस्से को करें कंट्रोल
कभी किसी के कुछ कहने पर तो कभी किसी की छोटी सी हरकत पर अक्सर हमें गुस्सा आ जाता है और हम कहते हैं कि फलां इंसान या कारण से हमें गुस्सा आया वरना हम तो शांत ही रहते। मगर सच्चाई ये नहीं है, दरअसल गुस्सा इंसान के अंदर ही होता है, बस बाहरी कारणों से उत्तेजित होकर वह बाहर निकल जाता है और हम दूसरों को गुस्से का दोष देते रहते हैं। इस बात को और बेहतर तरीके से समझने के लिये पढ़िये एक भिक्षुक की कहानी।
एक दिन भिक्षुक ने अपने मठ से दूर कहीं एकांत में जाकर ध्यान लगाने का फैसला किया है। वह एक झील किनारे पहुंचे। वहां कई नाव बंधी हुई थी। भिक्षुक ने एक नाव खोली और झील के बीचों बीच जा पहुंचा। बीच में जाकर उसने नाव रोक दीं और अपनी आंखें बंद करके ध्यान लगाया।
कुछ देर तक तो वह बिना बाधा के ध्यान मग्न रहें, लेकिन अचानक उन्हें नाव से किसी चीज़ के टकराने का एहसास हुआ। फिर भी उन्होंने आंखें नहीं खोली, जब दोबारा कुछ टकराया। यह समझकर भिक्षुक को गुस्सा आ गया, मगर आंखें बंद ही रखी क्योंकि वह ध्यान में थे।

फिर क्या हुआ?

लेकिन जैसे ही अगली बार कुछ टकराया तो उनको गुस्सा आ गया और वह आंखें खोलकर पीछे पलटकर उस नाविक को डांटने ही वाले थे। लेकिन जैसे पीछे मुड़े, तो उन्होंने देखा कि जो नाव उनसे टकरा रही थी, उसमें कोई नाविक नहीं था। वह खाली थी और उसे कोई नहीं चला रहा था।
शायद वह नाव किनारे से अपने आप बहती हुई झील के बीच में पहुंच गई थी और इसके लिए कोई और ज़िम्मेदार नहीं था। तब भिक्षुक को अचानक एहसास हुआ कि गुस्सा तो उनके अंदर ही है। नाव का टकराना एक बाहरी चीज़ है, जिसने उनके गुस्से को उत्तेजित कर दिया।

कहानी से सीख

इस घटना से हमें सीख मिलती है कि कोई इंसान या परिस्थिति जब भी क्रोध बढ़ाने की कोशिश करते हैं, तो वह खुद को याद दिलाते रहे कि सामने वाला इंसान या परिस्थिति तो उसी खाली नाव की तरह है और गुस्सा तो उनके अंदर ही है। इसलिये किसी और को अपने गुस्से के लिए ज़िम्मेदार ठहराने की बजाय हमें अपने अंदर के क्रोध को नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए।
क्रोध इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है और यह सामने वाले से ज़्यादा नुकसान खुद को पहुंचाता है। इसलिये अपने अंदर के क्रोध को पहचानकर उसे नियंत्रित करने की कोशिश करें।

गुस्से पर काबू करके सोच करें सही

बात-बात पर गुस्सा आता है तो ध्यान करें।

पॉज़िटिव लोगों की बातें सुने और ऐसी ही किताबें पढ़ें।

बार-बार नेगेटिव बातें न सोचें।

Saturday, November 9, 2019

Live Happy life

*4 Hormones* which determine a *human's happiness.*  Worth reading 

As I sat in the park *after* my *morning walk,*
My wife came and slumped next to me.
*She had completed* her 30-minute jog. *We chatted* for a while. She said *she is not happy* in life. I looked up at her sheer disbelief since she seemed to have the best of everything in life.
*"Why do you think so?"*
"I don't know. Everyone tells I have everything needed, *but I am not happy.*
"Then I questioned myself, *am I happy?  "No,"* was my inner voice reply.
Now, that was an *eye-opener for me.*
I began my quest to *understand the real cause* of my *unhappiness,*
I couldn't find one.

I dug deeper, *read articles,* spoke to life coaches but nothing made sense. 
*At last my doctor* friend gave me the answer which put all my questions and doubts to rest.
*I implemented* those and will say I am *a lot happier person.*

She said, *there are four hormones* which determine a *human's happiness -*
1. *Endorphins,*
2. *Dopamine,*
3. *Serotonin,*
and 
4. *Oxytocin.*
It is important we *understand these hormones,*
as we *need all four* of them *to stay happy.*

Let's look at the *first hormone* the *Endorphins.*
*When we exercise, the body releases Endorphins.*
This hormone helps the body cope with the pain of exercising. We then *enjoy exercising* because these Endorphins will make us happy.
*Laughter is* another good way of *generating Endorphins.*
We need to spend *30 minutes exercising* every day, read or *watch funny stuff* to get our day's dose of Endorphins.

*The second hormone is Dopamine.*
In our journey of life, we accomplish many *little and big tasks, it releases* various levels of *Dopamine.*
*When we get appreciated for our work at the office or at home,* we feel accomplished and good, that is *because it releases Dopamine.*
This also explains *why* most *housewives* are *unhappy* since they *rarely* get *acknowledged* or appreciated *for their work.* Once, we join work, we *buy* a car, a house, the latest gadgets, a *new house* so forth. In each instance, it *releases Dopamine* and we become happy.
Now, do we realize why we become happy when we shop?

*The third hormone Serotonin* is released when we *act in a way that benefits others.*
When we transcend ourselves and give back to others or *to nature or to the society, it releases Serotonin.* Even,
providing useful information on the internet like *writing information* blogs, answering peoples questions on Quora or *Facebook groups will generate Serotonin.*
That is *because* we will use our *precious time to help other* people via our answers or articles.

*The final hormone is Oxytocin,*
is released *when* we become *close to other human* beings. 
When we *hug our friends* or family *Oxytocin is released.*
The *"Jadoo Ki Jhappi"* from Munnabhai *does really work.*
Similarly, when we *shake hands* or put our *arms around* someone's shoulders, various amounts of *Oxytocin is released.*

So, it is simple, we have to *exercise every day* to get *Endorphins,*
we have to *accomplish* little *goals* and get *Dopamine,*
we *need to* be *nice* to others to *get  Serotonin* and 
finally *hug our kids,*
friends, and families to *get Oxytocin* and we will *be happy.* 
*When we are happy, we can deal* with our challenges and *problems better.*

Now, we can understand *why we need to hug a child who has a bad mood.*

So to.
*make your child* more and more *happy* day by day ...

1.*Motivate him to play* on the ground
*-Endorphins*

2. *Appreciate your child* for his small big achievements 
*-Dopamine*

3. *inculcate sharing* habit through you to your child 
*-Serotonin*

4. *Hug* your child
*-Oxytocin*

*Have a Happy life n give happy life to kids as Parents and Educators

Friday, November 8, 2019

Life is beautiful

 *Mantra For💓Mind🤝Soul👍🏼*

Life Is Short, *Live It.*
Love Is Rare, *Grab It.*
Anger Is Bad, *Dump It.*
Dear Is Awful, *Face It.*
Memories Are Sweet, *Cherish It.*

Some People Will Only
*Love You.*
As Much As They Can
*Use You.*
Don't Love Too Deeply
Until You're  Sure That The
Other Person Loves You Too
With The Same Depth.
*"BECAUSE"*
The Depth Of Your Love Today
Is The Depth Of Your
Wounds Tomorrow.

Their *LOYALTY* Ends
Where The *BENEFITS* Stop.

Have A Gr8 Weekend.
Live Love Life King Size.

Wednesday, November 6, 2019

Be happy always.

*अगर आपके पास 86,400 रुपये है और कोई भी लुटेरा 10 रुपये छिनकर भाग जाए तो आप क्या करेंगे?*

*क्या आप उसके पीछे भागकर लुटे हुवे 10 रुपये वापस पाने की कोशिश करोगे? या आप अपने बचे हुवे  86,390 को हिफाज़त से लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे?*

*कक्षा के कमरे में बहुमत ने कहा कि हम 10 रुपये की तुच्छ राशि की अनदेखी करते हुए अपने बचे हुवे पैसा लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे।*

*शिक्षक ने कहा: "आप लोगों का सत्य और अवलोकन सही नहीं है। मैंने देखा है कि ज्यादातर लोग 10 रुपये वापस लेने की फ़िक्र में चोर का पीछा करते हैं और परिणाम के रूप में, उनके बचे हुए 86,390 रुपये भी हाथ से धो बैठते हैं।*

*शिक्षक को देखते हुए छात्र हैरान होकर पूछने लगे "सर, यह असंभव है, ऐसा कौन करता है?"*

*शिक्षक ने कहा! "ये 86,400 वास्तव में हमारे दिन के सेकंड में से एक हैं।*
      *10 सेकंड की बात लेकर, या किसी भी 10 सेकंड की नाराज़गी और गुस्से में, हम बाकी के पुरे दिन को सोच,कुढ़न और जलने में गुज़ार देते हैं और हमारे बचे हुए 86,390 सेकंड भी नष्ट कर देते हैं।*

*चीज़ों को अनदेखा करें। ऐसा न हो कि  चन्द लम्हे का गुस्सा ,नकारात्मकता आपसे आपके सारे दिन की ताज़गी और खूबसूरती छीनकर ले जाए।*

Tuesday, November 5, 2019

Silence more powerful than voice

_Sometimes your silence could seem so loud._
*_Your silence could count more than your voice._*
_Most times your silence is your strongest voice._

*_Your silence may be a weapon more stronger than your tongue 👅._*

_A productive silence is better than a negative noise. Empty barrels makes the loudest noise._

*_No one can quote you, no one can shout you down anymore, no one can predict your next step._* 

_While you are silent, keep thinking of how to better your lots. Keeping acting on the way to convince them that you listens, and you are capable of pulling through._

*_Sometimes we need to sing like birds 🦅, even when no one understands, the tone will ring in their hearts for a long time._*

_Golden silence is better than rusty noise._

*_Remember, when you bury your past, always avoid friend with shovels_*

_Good morning and Almighty bless your day._

Monday, November 4, 2019

Associated with good people

Beautiful explanation by Maulana Rumi:
Explaining the meaning of ‘Association’ he said:..“A rain drop from the sky: if it is caught by clean hands, is pure enough for drinking. If it falls in the gutter, its value drops so much that it can’t be used even for washing your feet. If it falls on a hot surface, it will evaporate... If it falls on a lotus leaf, it shines like a pearl and finally, if it falls on an oyster, it becomes a pearl...The drop is the same, but its existence & worth depends on whom it is associated with.”...Always be associated with people who are good at heart..You will experience your own inner transformation"...
Wow wonderful morning. 
Let's make Happy,  Healthy and Positive world. 
Thank you Almighty.

Sunday, November 3, 2019

Always help to poor people

She asked him, 'How much are you selling the eggs for?'
The old seller replied, '$0.25 an egg, Madam.'

She said to him, 'I will take 6 eggs for $1.25 or I will leave.'
The old seller replied, 'Come take them at the price you want. Maybe, this is a good beginning because I have not been able to sell even a single egg today.'

She took the eggs and walked away feeling she has won. She got into her fancy car and went to a posh restaurant with her friend. There, she and her friend, ordered whatever they liked. They ate a little and left a lot of what they ordered. Then she went to pay the bill. The bill costed her $45.00 She gave $50.00 and asked the owner of the restaurant to keep the change.

This incident might have seemed quite normal to the owner but, very painful to the poor egg seller.

The point is, Why do we always show we have the power when we buy from the needy ones? And why do we get generous to those who do not even need our generosity?

I once read somewhere:

'My father used to buy simple goods from poor people at high prices, even though he did not need them. Sometimes he even used to pay extra for them. I got concerned by this act and asked him why does he do so? Then my father replied, "It is a charity wrapped with dignity, my child”

Social . Always ready for giving attitude

*💥🔆🌳 सुप्रभात🌳 💥🔆*


*💐समाजसेवा-अपना अपना तरीका*💐

मैं ऑफिस बस से ही आती जाती हूँ । ये मेरी दिनचर्या का हिस्सा हैं । उस दिन भी बस काफ़ी देर से आई, लगभग आधे-पौन घंटे बाद । खड़े-खड़े पैर दुखने लगे थे । पर चलो शुक्र था कि बस मिल गई । देर से आने के कारण भी और पहले से ही बस काफी भरी हुई थी ।

बस में चढ़ कर मैंनें चारों तरफ नज़र दौडाई तो पाया कि सभी सीटें भर चुकी थी । उम्मीद की कोई किरण नज़र नही आई ।

 तभी एक मजदूरन ने मुझे आवाज़ लगाकर अपनी सीट देते हुए कहा, "मैडम आप यहां बैठ जाये ।" मैंनें उसे धन्यवाद देते हुए उस सीट पर बैठकर राहत को सांस ली । वो महिला मेरे साथ बस स्टांप पर खड़ी थी तब मैंने उस पर ध्यान नही दिया था ।

कुछ देर बाद मेरे पास वाली सीट खाली हुई, तो मैंने उसे बैठने का इशारा किया । तब उसने एक महिला को उस सीट पर बिठा दिया जिसकी गोद में एक छोटा बच्चा था ।

वो मजदूरन भीड़ की धक्का-मुक्की सहते हुए एक पोल को पकड़कर खड़ी थी । थोड़ी देर बाद बच्चे वाली औरत अपने गन्तव्य पर उतर गई ।

इस बार वही सीट एक बुजुर्ग को दे दी, जो लम्बे समय से बस में खड़े थे । मुझे आश्चर्य हुआ कि हम दिन-रात बस की सीट के लिये लड़ते है और ये सीट मिलती है और दूसरे को दे देती हैं ।

कुछ देर बाद वो बुजुर्ग भी अपने स्टांप पर उतर गए, तब वो सीट पर बैठी । मुझसे रहा नही गया, तो उससे पूछ बैठी,

 "तुम्हें तो सीट मिल गई थी एक या दो बार नही, बल्कि तीन बार, फिर भी तुमने सीट क्यों छोड़ी ? तुम दिन भर ईट-गारा ढोती हो, आराम की जरूरत तो तुम्हें भी होगी, फिर क्यो नही बैठी ?

मेरी इस बात का जवाब उसने दिया उसकी उम्मीद मैंने कभी नही की थी । उसने कहा, *"मैं भी थकती हूँ । आप से पहले से स्टांप पर खड़ी थी, मेरे भी पैरों में दर्द होने लगा था । जब मैं बस में चढ़ी थी तब यही सीट खाली थी । मैंने देखा आपके पैरों में तकलीफ होने के कारण आप धीरे-धीरे बस में चढ़ी । ऐसे में आप कैसे खड़ी रहती इसलिये मैंने आपको सीट दी । उस बच्चे वाली महिला को सीट इसलिये दी उसकी गोद में छोटा बच्चा था जो बहुत देर से रो रहा था । उसने सीट पर बैठते ही सुकून महसूस किया । बुजुर्ग के खड़े रहते मैं कैसे बैठती, सो उन्हें दे दी । मैंने उन्हें सीट देकर ढेरों आशर्वाद पाए । कुछ देर का सफर है मैडम जी, सीट के लिये क्या लड़ना । वैसे भी सीट को बस में ही छोड़ कर जाना हैं, घर तो नहीं ले जाना ना । मैं ठहरी ईट-गारा ढोने वाली, मेरे पास क्या हैं, न दान करने लायक धन हैं, न कोई पुण्य कमाने लायक करने को कुछ । रास्ते से कचरा हटा देती हूं, रास्ते के पत्थर बटोर देती हूं, कभी कोई पौधा लगा देती हूं । यहां बस में अपनी सीट दे देती हूं । यही है मेंरे पास, यही करना मुझे आता है ।"* वो तो मुस्करा कर चली गई पर मुझे आत्ममंथन करने को मजबूर कर गई ।

मुझे उसकी बातों से एक सीख मिली कि *हम बड़ा कुछ नही कर सकते  तो समाज में एक छोटा सा, नगण्य दिखने वाला कार्य तो कर सकते हैं ।*

मुझे लगा ये मज़दूर महिला उन लोगों के लिये सबक हैं जो आयकर बचाने के लिए अपनी काली कमाई को दान के नाम पर खपाते हैं, या फिर वो लोग जिनके पास पर्याप्त पैसा होते हुए भी गरीबी का रोना रोते हैं । इस समाजसेवा के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं परन्तु इन छोटी-छोटी बातों पर कभी ध्यान नहीं देते ।

 मैंने मन ही मन उस महिला को नमन किया तथा उससे सीख ली *यदि हमें समाज के लिए कुछ करना हो, तो वो दिखावे के लिए न किया जाए बल्कि खुद की संतुष्टि के लिए हो ।*

*💐संकलनकर्ता-राजकीय प्राथमिक विद्यालय *


*सदैव प्रसन्न रहिये!!*🌳
🙏🙏🙏